महाराणा प्रताप
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धन्य हुई मेवाड़ की धरती जहां कुंवर प्रताप का जन्म हुआ
धन्य हुई मां जीवंत कुंवर जिसने प्रताप को जन्म दिया
राजा उदय प्रताप सिंह ने खुशियां भी खूब मनाईं थी
सारे मेवाड़ की धरती पर हर ओर बजी शहनाई थी
बचपन से ही राणा प्रताप ने पाया बदन गठीला था
लम्बे चौड़े राणा प्रताप का चेहरा भी खुब रौबीला था
सूर्य वंश में जन्म लिया चेहरे पर तेज चमकता था
राजपुताना हर्षित था जिसका परचम लहराया करता था
मुगल बादशाह अकबर को राणा का शौर्य नहीं भाया
मेवाड़ भूमि पर किया आक्रमण राणा प्रताप को उकसाया
सोते सिंह को छेड़ा अकबर ने राणा प्रताप ने ललकारा
अस्सी सेर का भाला लेकर मुगलों की सेना को मारा
अपने चेतक पर हो सवार मुगलों के छक्के छुड़ा दिए
छोटी सी सेना को लेकर मुगलों के सैनिक भगा दिए
वीर पराक्रमी थे प्रताप पीछे हटना मंजूर नहीं
आन बान से युद्ध किया चढ़ चेतक पर डटे वहीं
वीर बड़ा चेतक भी था राणा का साथ नहीं छोड़ा
दिखी मौत जब उसे सामने तब नाला फांद गया घोड़ा
घायल होकर फिर गिरा वहीं अपने प्राणों को त्याग दिया
ऐसा था राणा का चेतक कि प्राणों का बलिदान किया
मेवाड़ की भील पराक्रमी सेना ने राणा का साथ निभाया था
मेवाड़ की मिट्टी मलय समझ भाल पे उसे सजाया था
जन्म भूमि की रक्षा के हित राणा प्रताप ने त्याग किया
जंगलों में रहकर दिन कांटे महलों के सुख को छोड़ दिया
एक समय ऐसा आया जब बड़ी मुसीबत आई थी
जंगलों में रहकर के प्रताप ने घास की रोटी खाई थी
चेतक के मरने के ही बाद मुगली सेना ने घेर लिया
वीर पराक्रमी राणा को मेवाड़ भूमि पर मार दिया
सच्चे सपूत राणा प्रताप का पथिक सदा गुणगान करें
जो जन्म भूमि के लिए मरे उनको शत् बार प्रणाम करें
स्वरचित:- विद्या शंकर अवस्थी पथिक कानपुर
Renu
09-May-2023 06:35 PM
👍👍
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ऋषभ दिव्येन्द्र
09-May-2023 05:21 PM
बहुत बेहतरीन
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